Saturday, March 24, 2007

भंग क्यों नहीं कर देते बीसीसीई


त्रिनिदाद में जो हुआ उससे हो सकता है लाखों खेल प्रेमियों को हैरत और निराशा हुई हो,लेकिन मुझे कतई नहीं। मालूम था टीम इंडिया हारेगी तो यही कहां जाएगा - उम्मीदें चकनाचूर,टिकट कटा,शर्मनाक हार और न जाने क्या क्या। पहले में ऐसा हुआ है। एक मैच में थोड़ा भी ठीक ठाक रहा तो कल तक कूड़ा खेलने का आरोप झेल रहे खिलाड़ियों के भी दिन फिर जाते हैं। पिछले मैच में यहां तक कहा गया कि अगर टीम इंडिया के बल्ले में कूबत नहीं तो क्यों बिना वजह चमका रहे हैं। बीसीआई को भंग क्यों नहीं कर देते है।
कुछ पल के लिए ये बातें गुस्से या खेल प्रेमियों की भावनाओं से जोड़ कर देख सकते हैं,लेकिन एक सच ये भी कि जिस वक्त खिलाड़ियों को ज्यादा अभ्यास की जरुरत होती है उस वक्त वो विज्ञापन और रैम्प पर चलने में ध्यान देते हैं। मैं ये नहीं कहता कि वो खेल मे ध्यान नहीं देते। लेकिन उन्हें ये भी तो समझना चाहिए कि जिस मालामाल बीसीआई के बूते वो हीरो बने फिर रहे है उसमें आम आदमी की ही गाढ़ी कमाई लगी है। खेल के नाम पर मोटी रकम पाने वालो से जीत की उम्मीद आखिर जनता कब तक नहीं करेगी। कब तक क्रिकेट को किस्मत से जोड़ कर सचाई से मुंह मोड़ते रहेंगे। जिन खिलाड़ियों के लिए पूरे देश दुआ कर रहा था उन्हें शुक्रवार के मैच में द्ख कर लगा कि पवेलियन लौटने की होड़ लगी है। और यही हुआ।आसान हो चुके विकेट पर एक हासिल किए जा सकने वाले योग का पीछा करते हुए बड़े बड़े शेर 185 रनों पर ढ़ेर हो गए और श्रीलंका ने 69 रनों से मैच जीत लिया। देर रात तक जाग कर वर्ल्डकप के इस खेल का मजा लेने वाले खेल प्रेमियों को सबसे ज्यादा झटका तब लगा जब महान खिलाड़ी सचिन औऱ मैदान में रंग जमाने वाले धोनी बिना खाता खोले लौट गए। दादा भी कमाल नहीं दिखा सके। हां अपने नवाब साहब को कहने के लिए कुछ रन जरुर मिल गए जो टीम इंडिया के लिए ऊंट के मुंह में जीरा की तरह ही था।

प्रदर्शन के बाद जब टीम इंडिया भारत लौटेगी तो वो अपने प्रशंसकों से हार की वजह क्या बताएगी नहीं मालूम। लेकिन बीसीआई को एक बार दोबारा जरुर सोचना चाहिए कि आखिर उस का क्या मकसद है और कैसी टीम तैयार करना चाहती। बहाने तो उसके पास अब भी काफी होंगे। लेकिन हर बार बहाना काम नहीं आता ये भी ध्यान रखना चाहिए। कही ऐसा न हो कि बीसीसीआई पर ही सवाल न उठने लगे । जिसकी में घुसने की ख्वाहिश में बड़े बड़े नेता मरने मारने पर उतारु हो जाते हैं।

1 comment:

Anonymous said...

बांग्लादेश में भी भद पिट गई सहवाग की। अब क्या जवाब है बीसीसीआई के पास..कब तक ढोते रहेंगे ऐसे काहिल खिलाड़ियों को । शायद ऐसे ही बीसीसीआई को सबक सीखाने के लिए नए क्रिकेट लीग का ज़ी ने गठन किया है।