Friday, April 6, 2007

काल सर्प- महज एक खौफ


बहुत कम ज्योतिषी ही काल सर्प योग को हौवा नहीं बनाते । उन्ही में से एक हैं के एन राव । भारतीय विद्याभवन के ज्योतिष विभाग में सलाहकार राव को इस विषय में महारथ हासिल है। खास कर काल सर्प के बारे में तो उनके विचार ही अलग है। और उनकी अगर माने तो इस योग का व्यक्ति बिगड़ता ही नहीं बनता भी है। वह भी कई बार राजा की तरह। इस लिए जो लोग काल सर्प योग से भयभीत हैं वो डरने की बजाए इसे समझे तो शायद उन्हें कुछ तसल्ली हो सकती है कि सब खराब ही नहीं कुछ योग और बातें अच्छी भी होती है।लेकिन कई ऐसे भी ज्योतिषी हैं जो इस मसले पर अलग राय रखते हैं। कई ज्योतिष तो इसका सही जवाब भी नहीं दे पाते और कुछ इसके निदान के लिए त्रयम्बकेश्वर और उज्जैन तक भेजते हैं। जरुरत लेकिन वैज्ञानिक नजरिए से इसे समझने की है। तभी सटीक समाधान भी हो सकता है।काल सर्प योग का उल्लेख किसी भी प्राचीन ग्रंथ में मिलता है। सच तो ये है कि कुछ ज्योतिषियों की ही ये देन है। राहू व केतु से बनने वाला या केतु राहू से बनने वाले दोष को काल सर्प दोष की संज्ञा दी गई है। इसको आधुनिक नजरिए से देखा जाए तो राहू उत्तरी ध्रुव का वो भाग है, जहां अंधकार है। वहीं केतु दक्षिणी ध्रुव का वो भाग है, जहां अंधकार है। पृथ्वी एक्सल पर घूमती है,जिसे उत्तरी ध्रुव व दक्षिण ध्रुव के कोने को माना है। पृथ्वी लगातार घूमती रहती है। इसलिए ऊपर से पड़ने वाली रोशनी हर जगह पड़ेगी। वहीं पृथ्वी के नीचे वाले ग्लोब से बल्ब की रोशनी डालें तो ऊपर वाले भाग पर रोशनी नहीं पड़ेगी।इस तरह ग्रहों को समझें। जिस भाग से गृहों की रोशनी पड़ेगी, वह उत्तरी ध्रुव है। इसे केतु व राहू के मध्य ग्रहों के होने से शुभ फल नहीं मिलते। कई पत्रिकाएं ऐसी होती हैं, जिनमें केतु मध्य राहू होने से लोगों को परेशानियां होती हैं और वह ऊंचाइयों पर पहुंचते-पहुंचते रहे जाते हैं। इसे ही काल सर्प दोष कहा जाता है।जानकारों के मुताबिक इसका सबसे सरल और सटीक अनुभूत उपाय रवि पुष्य नक्षत्र में विधि-विधान से तीन धातु सोना, आठ रत्ती तांबा और 16 रत्ती चांदी 12 रत्ती के हिसाब से लेकर तारों की गुत्थी की हुई अंगूठी अनामिका के नाम की रविवार को पुष्य नक्षत्र पड़े उस दिन सुबह 9 से 11 के बीच बनवाकर किसी भी रविवार को शुद्ध कर पहनी जाती है।सोना, पुखराज या गुरु की प्रतिनिधित्व धातु है, वहीं सूर्य मंगल के लिए तांबा-चांदी, चंद्र व शुक्र के लिए होती है। इन सबका एक सर्कल बनकर पूरे शरीर को प्रभावित करता है व जो भी बाधाएं आती हैं, इसके पहनने से दूर हो जाती हैं।