Monday, May 7, 2007

ऐश-अभि की कहानी-सुर्तीलाल की जुबानी

बिग बी ने जिस सादगी और कम लोगों के बीच ऐश अभिषेक की शादी की योजना बनायी थी हुआ उसके उलट। दलील इसके पीछे जो भी हो। बॉलीवुड की कई हस्तियों को शादी का ये अंदाज नहीं भाया। सबसे ज्यादा शिकायत उन्हें हुई जो खुद को बिग बी का सबसे करीबी मानते थे। आलम ये है कि शादी को लेकर रोज नए अफसाने बन रहे हैं और शहंशाह अमिताभ के लिए रोज मुसीबतें खड़ी हो रही हैं। इसी को अपने अंदाज में बयां कर रहे हैं विकास मिश्र -
रविवार का दिन था। परिवार के साथ मैं भी छुट्टी का मजा ले रहा था कि शाम ढलते ही सुर्तीलाल घर में दाखिल हो गये। मैंने कहा हो गई छुट्टी की छुट्टी। खैर..सुर्तीलाल ने झोले से मिठाई का डब्बा निकाला और बोले-लो पंडित.. मिठाई खाओ..बड़ी स्पेशल मिठाई है ये। मुझे लगा कि शायद बनारस से लौटे होंगे सुर्तीलाल तो वहां की मिठाई होगी। शंका मिटाने के लिए पूछ ही बैठा। सुर्तीलाल बोले-नहीं पंडित ये बनारस की नहीं बच्चन की मिठाई है। बेटे की शादी में अमिताभ बच्चन मुझे बुलाना भूल गए थे। अब मिठाई भिजवाई है। लो तुम भी खाओ, बच्चों को भी खिलाओ।
मैं चौंका। सुर्तीलाल और अमिताभ बच्चन..। बात कुछ हजम नहीं हुई। कहां अमिताभ बच्चन का रुतबा और कहां फक्कड़ भंगेड़ी फकीर सुर्तीलाल। पूछ बैठा-क्या वाकई अमिताभ बच्चन ने ये मिठाई भिजवाई है सुर्तीलाल जी। आपसे उनका परिचय कब हुआ।
यही तो तुम्हारे में खराबी है पंडित..। मिठाई खाओ, पचड़े में मत पड़ो, लेकिन तुम तो पूरी बात जाने बिना मानोगे नहीं। तो चलो मैं तुम्हें बता दूं कि बिग बी से मेरा पुराना और खानदानी नाता है। मेरे पिताजी और डॉक्टर हरिवंशराय बच्चन कई मंचों पर साथ-साथ कविता पढ़ चुके हैं। अमिताभ से तो मेरी हर हफ्ते बात होती है। बेटे की शादी का फैसला लेते वक्त भी उन्होंने पूछा था मुझसे। मैं तो इस शादी की एक-एक बात जानता हूं...। कहते-कहते सुर्तीलाल का सिर गर्व से ऊंचा उठ गया।
इस बीच अंदर से पानी भरी गिलासें आ गई थीं। सुर्तीलाल ने भांग की दो गोलियां गटकीं, मिठाई के डिब्बे से निकालकर तीन चमचम मुंह के भीतर ठेला और सोफे पर पालथी मारकर बैठ गए। मुझे मजाक सूझी सोचा जरा सुर्तीलाल को छेड़ा जाये। पूछ बैठा-आप अमिताभ के इतने करीब हैं तो बताइए कि शादी में मीडिया को क्यों नहीं भीतर जाने दिया गया।
सुर्तीलाल-मीडिया को बुलाकर आफत बुलानी थी क्या। अरे हाई प्रोफाइल शादी थी, करोड़ों के जेवरों से लदी फनी दुल्हन। बिग बी ने करोड़ों लुटाए होंगे। अरबपति खरबपति बड़े बड़े उद्योगपति आए थे। अब ऐसे में मीडिया वाले घुसते तो मेहमानों की पगड़ी पर कैमरा थोड़े चलता। वो तो घुसा रहता गहनों की नापतौल में। शादी पर कितना खर्च हुआ, इसका हिसाब मीडिया बता देता। ऐसे में अमिताभ के पुराने दुश्मन इनकम टैक्स वाले जलसा-प्रतीक्षा में घुसते तो दूल्हा-दुल्हन का पीछा ताहिती तक करते। हनीमून पर टैक्स का मजमून पकड़ा देते। तो प्यारे अमिताभ भइया ने इनकम टैक्स वालों के डर से मीडिया को नहीं बुलाया।
मैं-लेकिन कई दोस्तों को भी तो नहीं बुलाया। धर्मेंद्र, प्रकाश मेहरा, विनोद खन्ना, जावेद अख्तर, गुलजार, शत्रुघ्न सिन्हा, शाहरुख खान को न्यौता नहीं दिया। शत्रु ने तो मिठाई भी लौटा दी।
सुर्तीलाल-देखो पंडित। जबसे अमर सिंह अमिताभ के दोस्त बने, तबसे दोस्ती पर उनका एकमुश्त कब्जा हो गया। अमर सिंह छोटे भइया भी हैं और दोस्त भी। समाजवादी पार्टी से जुड़े हैं तो अमिताभ को भी मुलायम रंग में रंग दिया। धर्मेंद्र, विनोद खन्ना और शत्रु तो समाजवादी पार्टी की शत्रु बीजेपी के नेता बन गए हैं ऐसे में शत्रुओं को दावत क्यों देते। अमर प्रेम के ही चलते ही कई लोग दावत उड़ाने से रह गए। लेकिन असली खेल पता चल गया राज बब्बर को। राज बब्बर ने अमर सिंह को शादी का नाऊ ठाकुर कहा था। दरअसल सच्चाई यही थी। शादी का पूरा बंदोबस्त अमर सिंह के ही जिम्मे थे। किसे बुलाना है, किसे नहीं, उन्हें ही तय करना था। यानी कि ठाकुर साहब नाऊ ठाकुर की भूमिका में थे। तो वो भला दरिंदा कहने वाले शाहरुख को क्यों बुलाते।
मैं-सुर्तीलाल जी अमिताभ के इस अमर प्रेम की असलियत क्या है। कहीं ऐसा तो नहीं कि अमर सिंह ने पैसे जुटाकर उन्हें कर्जे से उबारा था।
सुर्तीलाल-बहुत भोले हो पंडित। अमर सिंह की क्या औकात कि बिग बी को पैसा दिलवाते। चलो पहले कर्जे की कहानी ही बता दें। जरा सोचो अपने दौर में बिग बी पूरे बॉलीवुड में सबसे ज्यादा पैसे लेते थे। जब बाकी स्टार ज्यादा से ज्यादा दस लाख पाते थे तो बिग बी 35 लाख वसूलते थे। दारूबाजी, यारबाजी का शौक था नहीं। यानी साइड के खर्चे नहीं थे। कंपनी बनाई तो हीरो-हीरोइन बनने के लिए जवानों को न्योता दिया। सबसे ड्राफ्ट मंगवाया। इस तरह से करोड़ों कमाए और छोटे बजट की फिल्म बनाई तेरे मेरे सपने। फिल्म में लागत ज्यादा नहीं थी, इसीलिए कमाई भी हुई। कंपनी ने दूसरा काम किया विश्व सुंदरी प्रतियोगिता के आयोजन का। दुनिया भर की सुंदरियां जुटीं। घाटे का तो इसमें सवाल ही नहीं था। बैंडिट क्वीन का डिस्ट्रीब्यूशन किया, तो फिल्म हिट हो गई। यानी कमाई दूनी। अब कंपनी घाटे और कर्जे में कैसे चली गई पंडित। जरा सोचो...खेल क्या है।
मैं-आपका भी जवाब नहीं है सुर्तीलाल जी, कहां की चीज कहां जोड़ देते हैं। लेकिन अगर कर्जा घाटा नहीं था तो अमर सिंह इतने नजदीक कैसे आ गए।
सुर्तीलाल-पंडित अमिताभ को छोटी चीजें बहुत पसंद हैं। बीवी चुनी तो वो भी छोटी। किसी बिजनेसमैन से मुलाकात के वक्त बिग बी की नजर पड़ी अमर सिंह पर। गोल मटोल छुटकू अमर को देखकर बिग बी के मुंह से निकल गया-यही है राइट च्वाइस बेबी आहा। लम्बू जी को टिंगू जी मिल गए। टिंगू जी ने बिग बी को मुलायम सिंह के पास-पास कर दिया। लम्बू जी को राजनीति की छतरी चाहिए थी। कांग्रेस की छतरी फट चुकी थी। अमर सिंह ने मुलायम की छतरी ला दी और बन गए सबसे प्यारे दोस्त। टिंगू जी ने जया भाभी के लिए राज्यसभा की कुर्सी भी दे दी। यही नहीं टिंगू जी ने लम्बू जी के लिए बहू का भी इंतजाम कर दिया। ऐश्वर्या के घर बात चलाने वही गए थे। ऐसे में लम्बू जी को लगा कि यार ये टिंगू बड़े काम की चीज है। इसलिए दोनों अब साथ गाते हैं-बने चाहे दुश्मन बॉलीवुड हमारा, सलामत रहे दोस्ताना हमारा।
मैं-आपने तो गाने की ऐसी की तैसी कर दी। लेकिन ऐश्वर्या को तो अभिषेक ने पसंद किया था। दोनों में प्यार हुआ..फिर शादी तक बात पहुंची। आप कैसे कहते हैं कि सब अमर सिंह ने करवाया।
सुर्तीलाल- तो तुम भी झांसे में आ गए पंडित। कैसी मुहब्बत कैसा प्यार। चलो मैं इस शादी में परदे के पीछे की पूरी कहानी सुनाता हूं। अमिताभ छोटी चीजों के शौकीन हैं। लेकिन बेटे को हमेशा बड़ी चीजें ही समझाई। लम्बी ही नहीं उम्र में भी बड़ी बहू ले आए। ये मुहब्बत वाली कहानी तो बस उड़ाई गई है। ऐश ने तो दो-दो बार मुहब्बत की। एक बार सलमान से, दूसरी बार विवेक से। दो बार मुहब्बत का अनुभव हुआ, लेकिन ऐश्वर्या ने सोचा कि टाइम पास बहुत हुआ। अब शादी कर लेते हैं। लेकिन डर था सलमान का। कहीं ऐसा ना हो कि बॉडी बिल्डर सलमान गुस्से में दूल्हे को अस्पताल ना भेज दे। चिंता बड़ी थी। सहारा एम्पायर की वाइस प्रेसीडेंट भी हैं ऐश। वहीं मीटिंग में मुलाकात हुई और ऐश्वर्या ने अपनी चिंता अमर सिंह को बता दी। अमर सिंह ने चश्मा ऊपर नीचे किया और जोर-जोर से हंसने लगे कि मिल गया मिल गया और मिल गया। ऐश चौंकीं, क्या मिल गया। अमर ने कहा कि बिग बी को मैं पटाता हूं, तुम्हारी शादी अभिषेक से कराता हूं। सलमान की औकात नहीं कि वो बड़े भइया के बंगले की ओर सिर उठाकर भी देखें। उधर छोटे भइया ने बड़े भइया को समझाया-देखो भइया दुनिया में पैसा है तो सब कुछ है। बुढ़ौती में तुम भी कमा रहे हो, बेटा भी ठीक ठाक कमा ले रहा है। ऐसे में अगर एक कमाऊ बहू आ गई तो पैसा छप्पर फाड़कर बरसेगा। अगर ऐश्वर्या से अभिषेक की शादी करवा दो तो बेटे को वो हॉलीवुड में भी काम दिला देगी। बॉलीवुड में सिक्का ना चला तो हॉलीवुड में चलेगा। ऊपर से दुनिया की सबसे खूबसूरत बहू तुम्हारे घर में आएगी। ऐसी बहू जो फिल्मों और विज्ञापनों में तुम्हारे बेटे से ज्यादा कमाती है। बड़के भइया पैसा देखो पैसा। सुबह उसका मुंह देखकर उठे तो पूरा दिन चंगा। वैसे भी दोनों साथ-साथ फिल्में कर रहे हैं। बात चलाओ तो दोनों में अंडरस्टैंडिंग भी हो जायेगी।
मैं-फिर क्या हुआ।
सुर्तीलाल-होना क्या था। पैसे वाली बात लाला अमिताभ को पसंद आ गई। आज्ञाकारी बेटे को समझा दिया। बेटा भी राजी हो गया। बैठे-ठाले दुनिया की सबसे हसीन लड़की बीवी बन रही थी। तो बेटे ने इसे पिता का गिफ्ट समझा और ले लिए सात फेरे।
सुर्तीलाल पर भांग का सुरूर चढ़ने लगा था। मिठाई का डिब्बा खोलकर दो बर्फी और निगल ली। पानी पीकर पान की गिलौरी मुंह में डाले और पान घुलाते हुए बोले-पंडित सब माया का खेल है। उधर दूल्हा दुल्हन मौज काट रहे हैं और हम लोग पंचायत कर रहे हैं। हम भी शादी का जश्न मना रहे हैं। वैसे पंडित ये बता दें कि अमिताभ ने मुझे कोई मिठाई उठाई नहीं भेजी थी। वो तो पड़ोस के शर्मा जी के यहां बेटा हुआ है, उन्होंने डिब्बा पकड़ा दिया। सोचा कि इसी बहाने तुमसे थोड़ी चकल्लस कर लूं।

4 comments:

Arun Arora said...

सारी मिठाई खुद खागये चकल्लस हमे थमा दी
लेकिन गुरु जो तुमने अन्दर की सुनाई सच सच बताओ शादी के हफ़तो बाद तक कैसे दबाये रखी

ePandit said...

वाह खूब मजेदार कहानी सुनाई सुर्तीलाल जी ने। बहुत गंभीर चिंतन करते हैं आपके सुर्तीलाल जी।

Sagar Chand Nahar said...

मजा गया जी ऐश अभिषेक की कहानी जानकर, बहुत सुन्दर लेखन है आपका। बधाई स्वीकार करें।

Anonymous said...

बच्चन परिवार को क्या कहा जाए...कभी नरम कभी गरम। बिग बी तो महान कलाकार हैं, लेकिन उनके शहजादे..खैर । व्यंग के जरिए ही सही निशाना सटीक है। ऐसी भी क्या सादगी कि कोई शादी जैसे मौके पर अपनों को ही भूल जाए। बॉलीवुड तो छोड़िए,बच्चन परिवार ने इलाहाबाद के अपने रिश्तेदारों को भी बुलाना जरुरी नहीं समझता।..वैसे किसी को निराश होने की जरुरत नहीं, बॉलीवुड की शादी का मामला है क्या पता सुर्तीलाल दूसरी शादी में बुला लिए जाए..।